जाकिर
नायक के गुरू Ahmed Deedat के साथ लेक्चर दे चुके प्रोफेसर गेरी मिल्लर
ने 1978 में इस्लाम कुबूल किया, वो अपनी पिछली जिंदगी बारे में बताते हैं
कि उन्होंने एक आइडिया सोचा था कि कुरआन में वैज्ञानिक और एतिहासिक
कमियां निकालेंगे जिससे इसाईयत को लाभ हो मगर हुआ उलटा, खूब रिसर्च करने के
बाद वो मुसलमान हो गए और अपना समय इस्लाम को दूसरों तक पहुचाने में देने
लगे,, आप टीवी और इन्टरनेट से इस्लाम के संबन्ध में गलतफहमियां दूर कर रहे हैं ,उन्होंने अपना नाम अब्दुल अहद पसंद किया
कुरआन की निम्न आयतों का जिकर आपने अपने लेक्चर 'हैरत अंगेज कुरआन' में तफसील से क्या है
‘क्या वे क़ुरआन में सोच-विचार नहीं करते? यदि यह अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की ओर से होता, तो निश्चय ही वे इसमें बहुत-सी बेमेल बातें पाते।‘ -सूरःनिसा (कुरआन 4:82 )
Do they not ponder about the Qur'an? Had it been from any other than Allah, they would surely have found in it much inconsistency. (Quran: 4:82)
''कोई शक हो तो इस जैसी कोई एक सूरः बना लाओ और इस उददेश्य के लिए अल्लाह को छोडकर अपने सारे प्रतिनिधियों को भी बुला लो, अगर तुम अपने विचार में सच्चे हो'' -सुरः बक़र: 2:23
And if you are in doubt about what We have sent down upon Our Servant [Muhammad], then produce a surah the like thereof and call upon your witnesses other than Allah, if you should be truthful. (Quran 2:23)
क़ुरआन को चैलेंज करने वाले डा॰ गेरी मिलर (gary miller) अब स्वयं कुरआन की चुनौतियों पर इस तरह से रोशनी डालते हैं , एक मिसाल इधर पढिए जिसमें एक इस्लाम दुशमन के पास 10 साल कुरआन के झुटलाने के लिए थे ः
''अबू-लहब इस्लाम से इस हद तक घृणा करता था कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जहाँ भी जाते वह आप के पीछे-पीछे चलता ताकि जो कुछ पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कहते उसके महत्त्व को कम कर सके। यदि पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को अपरिचित और अनजाने लोगों से बात करते हुए देखता तो प्रतीक्षा करता रहता यहाँ तक कि आप अपनी बात खत्म करें ताकि वह उनके पास जाए, फिर उन से पूछता कि मुहम्मद ने तुम से क्या कहा है? अगर वह तुम्हें कोई चीज़ सफेद बताए तो समझो कि वह काली है और वह तुम से रात कहे तो वास्तव में वह दिन है। कहने का मक़सद यह है कि पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो चीज़ भी कहते वह उसका विरोध करता था और लोगों को उसके बारे में शक में डालता था। अबू लहब की मृत्यु से दस साल पहले क़ुरआन की एक सूरत उतरी जिसका नाम 'सूरतुल मसद' है,
यह सूरत बतलाती है कि अबू लहब आग (नरक) में जाएगा, यानी दूसरे शब्दों में उसका अर्थ यह हुआ कि अबू लहब कभी भी इस्लाम में प्रवेश नहीं करेगा।
(मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को झूठा साबित करने के लिए पूरे दस सालों के दौरान अबू लहब को केवल यह करना चाहिए था कि वह लोगों के सामने आ कर कहताः मुहम्मद मेरे बारे में यह कहता है कि मैं शीघ्र ही आग (नरक) में जाऊँगा, किन्तु मैं अब यह घोषणा करता हूँ कि मैं इस्लाम स्वीकार करना चाहता हूँ और मुसलमान बनना चाहता हूँ !!अब तुम्हारा क्या विचार है क्या मुहम्मद अपनी बात में सच्चा है या नहीं? क्या उसके पास जो वह्य आती है वह ईश्वरीय वह्य है? किन्तु अबू लहब ने ऎसा बिल्कुल नहीं किया जबकि उसका सारा काम पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का विरोध करना था लेकिन उसने इस मामले में आप का विरोध नहीं किया। यह कहानी गोया यह कह रही है कि पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अबू लहब से कहते हैं कि तू मुझ से घृणा करता है और मुझे खत्म कर देना चाहता है। ठीक है मेरी बात का तोड़ करने का तेरे पास अच्छा अवसर है! किन्तु पूरे दस साल के बीच उसने कुछ नहीं किया!! न तो वह इस्लाम लाया और न ही कम से कम दिखाने के लिए इस्लाम क़बूल किया!
दस साल तक उसके लिए यह अवसर था कि एक मिनट में इस्लाम को ध्वस्त कर दे ! किन्तु यह बात मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बात नहीं थी बल्कि उस हस्ती की ओर से वह्य थी जो ग़ैब (परोक्ष) को जानती है और उसे पता था कि अबू लहब कभी भी इस्लाम नहीं लायेगा।
अगर यह अल्लाह की ओर से वह्य न होती तो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इस बात को कैसे जान सकते थे कि जो कुछ सूरत में बताया गया है अबू लहब उस को साबित कर दिखायेगा?? अगर उन्हें यह पता नहीं होता कि यह अल्लाह की ओर से वह्य है तो वह पूरे दस साल तक इस बात पर दृढ़ता और विश्वास के साथ क़ाइम न रहते कि उनके पास जो चीज़ है वह सत्य है। जो आदमी इस तरह का खतरनाक चैलेंज रखता है उसके पास केवल यही एक अर्थ होता है कि यह अल्लाह की ओर से वह्य है!.
"अबू लहब के दोनों हाथ टूट गये और वह स्वयं नष्ट हो गया। न तो उसका माल उसके काम आया और न उसकी कमाई। वह शीघ्र ही भड़कने वाली आग में जायेगा। और उसकी बीवी भी (जायेगी) जो लकडि़याँ ढोने वाली है, उस की गदर्न में मूंज की बटी हुई रस्सी होगी।" (सूरतुल-मसदः १-५)
Urdu या इंग्लिश जानने वाले निम्न लिंकों पर जाकर अधिक जानकारियां पा सकते हैं
قرآن پاک کو غلط ثابت کرنے کی مہم شروع کرنے والا کینیڈین سائنسدان کیسے مسلمان ہوا؟ ایک عظیم واقعہ
https://www.facebook.com/ photo.php?fbid=488199041223 060&set=a.304074506302182. 73575.268168879892745&type =1&ref=nf
THE MAN WHO CHALLENGED THE QUR'AN Professor Gary Miller (also known as Abdul-Ahad Omar) is a Canadian Mathematician and former Christian Missionary who has converted to Islam.
http:// www.discoveringislam.org/ dr_gary_miller.htm
https://www.facebook.com/ pages/ Dr-Gary-Miller-Abdul-Ahad-O mar/284131568303311
Gary Miller - Christianty and Islam - YouTube
http://www.youtube.com/ watch?v=rPR48pP8Tbk
Video-taped Lecture
http:// www.discoveringislam.org/ amazing_quran.htm
GARY MILLER, THE MAN WHO CHALLENGED THE QUR'AN
http:// fakiralyatim.blogspot.in/ 2011/05/ garry-miller-man-who-challe nged-quran.html
Ahmed Deedat and Gary Miller
http://www.youtube.com/ results?search_query=Islam+ and+Christianity+-+Ahmed+D eedat+and+Gary+Miller&aq=f
कुरआन की निम्न आयतों का जिकर आपने अपने लेक्चर 'हैरत अंगेज कुरआन' में तफसील से क्या है
‘क्या वे क़ुरआन में सोच-विचार नहीं करते? यदि यह अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की ओर से होता, तो निश्चय ही वे इसमें बहुत-सी बेमेल बातें पाते।‘ -सूरःनिसा (कुरआन 4:82 )
Do they not ponder about the Qur'an? Had it been from any other than Allah, they would surely have found in it much inconsistency. (Quran: 4:82)
''कोई शक हो तो इस जैसी कोई एक सूरः बना लाओ और इस उददेश्य के लिए अल्लाह को छोडकर अपने सारे प्रतिनिधियों को भी बुला लो, अगर तुम अपने विचार में सच्चे हो'' -सुरः बक़र: 2:23
And if you are in doubt about what We have sent down upon Our Servant [Muhammad], then produce a surah the like thereof and call upon your witnesses other than Allah, if you should be truthful. (Quran 2:23)
क़ुरआन को चैलेंज करने वाले डा॰ गेरी मिलर (gary miller) अब स्वयं कुरआन की चुनौतियों पर इस तरह से रोशनी डालते हैं , एक मिसाल इधर पढिए जिसमें एक इस्लाम दुशमन के पास 10 साल कुरआन के झुटलाने के लिए थे ः
''अबू-लहब इस्लाम से इस हद तक घृणा करता था कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जहाँ भी जाते वह आप के पीछे-पीछे चलता ताकि जो कुछ पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कहते उसके महत्त्व को कम कर सके। यदि पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को अपरिचित और अनजाने लोगों से बात करते हुए देखता तो प्रतीक्षा करता रहता यहाँ तक कि आप अपनी बात खत्म करें ताकि वह उनके पास जाए, फिर उन से पूछता कि मुहम्मद ने तुम से क्या कहा है? अगर वह तुम्हें कोई चीज़ सफेद बताए तो समझो कि वह काली है और वह तुम से रात कहे तो वास्तव में वह दिन है। कहने का मक़सद यह है कि पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो चीज़ भी कहते वह उसका विरोध करता था और लोगों को उसके बारे में शक में डालता था। अबू लहब की मृत्यु से दस साल पहले क़ुरआन की एक सूरत उतरी जिसका नाम 'सूरतुल मसद' है,
यह सूरत बतलाती है कि अबू लहब आग (नरक) में जाएगा, यानी दूसरे शब्दों में उसका अर्थ यह हुआ कि अबू लहब कभी भी इस्लाम में प्रवेश नहीं करेगा।
(मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को झूठा साबित करने के लिए पूरे दस सालों के दौरान अबू लहब को केवल यह करना चाहिए था कि वह लोगों के सामने आ कर कहताः मुहम्मद मेरे बारे में यह कहता है कि मैं शीघ्र ही आग (नरक) में जाऊँगा, किन्तु मैं अब यह घोषणा करता हूँ कि मैं इस्लाम स्वीकार करना चाहता हूँ और मुसलमान बनना चाहता हूँ !!अब तुम्हारा क्या विचार है क्या मुहम्मद अपनी बात में सच्चा है या नहीं? क्या उसके पास जो वह्य आती है वह ईश्वरीय वह्य है? किन्तु अबू लहब ने ऎसा बिल्कुल नहीं किया जबकि उसका सारा काम पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का विरोध करना था लेकिन उसने इस मामले में आप का विरोध नहीं किया। यह कहानी गोया यह कह रही है कि पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अबू लहब से कहते हैं कि तू मुझ से घृणा करता है और मुझे खत्म कर देना चाहता है। ठीक है मेरी बात का तोड़ करने का तेरे पास अच्छा अवसर है! किन्तु पूरे दस साल के बीच उसने कुछ नहीं किया!! न तो वह इस्लाम लाया और न ही कम से कम दिखाने के लिए इस्लाम क़बूल किया!
दस साल तक उसके लिए यह अवसर था कि एक मिनट में इस्लाम को ध्वस्त कर दे ! किन्तु यह बात मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बात नहीं थी बल्कि उस हस्ती की ओर से वह्य थी जो ग़ैब (परोक्ष) को जानती है और उसे पता था कि अबू लहब कभी भी इस्लाम नहीं लायेगा।
अगर यह अल्लाह की ओर से वह्य न होती तो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इस बात को कैसे जान सकते थे कि जो कुछ सूरत में बताया गया है अबू लहब उस को साबित कर दिखायेगा?? अगर उन्हें यह पता नहीं होता कि यह अल्लाह की ओर से वह्य है तो वह पूरे दस साल तक इस बात पर दृढ़ता और विश्वास के साथ क़ाइम न रहते कि उनके पास जो चीज़ है वह सत्य है। जो आदमी इस तरह का खतरनाक चैलेंज रखता है उसके पास केवल यही एक अर्थ होता है कि यह अल्लाह की ओर से वह्य है!.
"अबू लहब के दोनों हाथ टूट गये और वह स्वयं नष्ट हो गया। न तो उसका माल उसके काम आया और न उसकी कमाई। वह शीघ्र ही भड़कने वाली आग में जायेगा। और उसकी बीवी भी (जायेगी) जो लकडि़याँ ढोने वाली है, उस की गदर्न में मूंज की बटी हुई रस्सी होगी।" (सूरतुल-मसदः १-५)
Urdu या इंग्लिश जानने वाले निम्न लिंकों पर जाकर अधिक जानकारियां पा सकते हैं
قرآن پاک کو غلط ثابت کرنے کی مہم شروع کرنے والا کینیڈین سائنسدان کیسے مسلمان ہوا؟ ایک عظیم واقعہ
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THE MAN WHO CHALLENGED THE QUR'AN Professor Gary Miller (also known as Abdul-Ahad Omar) is a Canadian Mathematician and former Christian Missionary who has converted to Islam.
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